अफगानिस्तान में मंगलवार देर रात आतंकी संगठन तालिबान के हमले में 20 अफगान सैनिकों की मौत हो गई। खास बात ये है कि इस हमले से कुछ घंटे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और तालिबान नेता मुल्ला बरदार के बीच फोन पर बातचीत हुई थी। इसमें तालिबान, अफगान सरकार और अमेरिका के बीच 29 फरवरी को हुए शांति समझौते को लागू करने पर चर्चा हुई थी। ट्रम्प ने इसे सफल बताते हुए तालिबान को गुड लक भी कहा था। बुधवार को अमेरिकी सैन्य प्रवक्ता ने बताया कि तालिबान को हमले का जवाब एयर स्ट्राइक से दिया गया है। ताजा घटनाक्रम ने शांति समझौते पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।
ट्रम्प और बरदार की बातचीत के बाद व्हाइट हाउस ने एक बयान जारी किया था। इसके मुताबिक, किसी आतंकी संगठन के नेता और अमेरिकी राष्ट्रपति के बीच यह पहली ऐसी चर्चा है, जिसकी सार्वजनिक पुष्टि की जा रही है। अफगान शांति के लिए 29 फरवरी को अमेरिका, अफगानिस्तान सरकार और तालिबान के बीच समझौता हुआ था। हालांकि, कैदियों की रिहाई के मसले पर विरोधाभासी बयान आ रहे हैं। सभी संबंधित पक्ष 10 मार्च से ओस्लो (स्वीडन) में बैठक करेंगे। इसमें अमन बहाली के उपायों की रूपरेखा तैयार की जाएगी।
समझौता और हिंसा साथ कैसे?
अफगानिस्तान सरकार, अमेरिका और तालिबान के बीच जो समझौता हुआ है, उस पर सवाल पहले दिन से उठ रहे हैं। मंगलवार शाम ट्रम्प और बरदार की फोन पर बातचीत हुई। इसके कुछ घंटे बाद तालिबान ने कुंदूज प्रांत के बाग-ए-शेरकत सैन्य बेस पर हमला कर दिया। 20 अफगान सैनिकों की मौत हो गई। तालिबान की हरकत का जवाब अमेरिकी सेना ने एयर स्ट्राइक से दिया। अमेरिकी सेना की प्रवक्ता सोनी लेगेट ने ट्विटर पर यह जानकारी दी। बहरहाल, समझौते के चंद दिनों बाद इस तरह के हमलों से करार की कामयाबी संदिग्ध नजर आ रही है।
ट्रम्प ने मुल्ला से कहा- हिंसा फौरन बंद होनी चाहिए
व्हाइट हाउस की तरफ से जारी बयान में कहा गया, “राष्ट्रपति ने तालिबान नेता से साफ कहा कि समझौते की सफलता के लिए हिंसा का फौरन बंद होना जरूरी है। दोनों पक्षों की बातचीत सकारात्मक रही। अमेरिका ने साफ किया है कि वो अफगानिस्तान में अमन बहाली के लिए कोशिशें जारी रखेगा।”
पेंच कहां फंसा?
अफगानिस्तान करीब 40 साल से हिंसाग्रस्त है। यहां पहले सोवियत संघ (अब रूस) की सेनाएं रहीं अब अमेरिकी फौज मौजूद है। तालिबान, अमेरिका और अफगानिस्तान सरकार के बीच शांति समझौता 29 फरवरी को हुआ। इसके बाद भी हिंसा हुई। इसमें एक पेच फंसा हुआ माना जा रहा है। दरअसल, तालिबान का दावा है कि समझौते के तहत अफगान सरकार पांच हजार तालिबानियों को रिहा करेगी। अफगान सरकार और अमेरिका दावा करता है कि समझौते की शर्तों के तहत तालिबान की कैद में एक हजार लोग हैं, इन्हें रिहा किया जाएगा। दोनों ही बातों को लेकर स्पष्टता नहीं है। अफगान सरकार ने साफ कर दिया है कि वो किसी तालिबानी नेता या आतंकी को रिहा नहीं कर सकती